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Sunday, June 18, 2017

अधूरे सपनो की नयी उड़ान

रिया आज सुबह से कुछ ज्यादा ही उदास थी , यूँ तो ज़िन्दगी में सब कुछ ठीक ही चल रहा था, दो प्यारे बच्चे , प्यार करने वाला पति ...पर फिर भी कुछ कुछ दिनों के अंतराल से रिया का मन खिन्न हो जाता था , लगता था ज़िन्दगी कुछ मैकेनिकल सी हो गयी hai, वही घर का काम वही रूटीन..."अरे ११ बज गए, अभी तो घर का सारा काम बाकि है और शॉपिंग भी करने है कुछ जरूरी चीज़ो की ...जैसे तैसे तैयार होकर रिया ने सब्ज़ी और कुछ जरूरी सामान लेकर घर पहुंचि ही थी, मन एक बार फिर पुरानी यादो में खो गया था !

शादी के १० सालो मे कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे थे रिया ने, घर की लाड़ली रिया हर बात में ावल थी, पढाई लिखाई से लेकर आर्ट, म्यूजिक, डांस हर विधा का हुनर था उसके पास, और साथ ही मन मे इच्छा थी, ज़िन्दगी मे कुछ बनना है, कुछ कर दिखाना है , और होता भी क्यों ये जुनून रिया के मम्मी पापा ने उसे जागती आँखों से सपने देखना जो सिखाया था और साथ ही हौसला दिया था अपने आप पर भरोसे का ! आज भी रिया को याद है जब वो छोटी थी तो पापा हमेशा कहते रहते थे ""zindagi  मे कोई काम मुश्किल नहीं है, यदि उसे पूरी मेहनत और शिदअत के साथ करो " और इसी बात को मान कर और इसी ज़ज़्बे को सलाम कर रिया ने अपना बचपन जिया था ! घर, परिवार, स्कूल, दोस्तों सब के बिच सबसे लोकप्रिय और हर बात मे सबसे आगे रहने वालो मैं से थी रिया ...और धीरे धीरे समय पंख लगा कर उड़ता गया और रिया सारे पढ़ावो को खूबसूरती से पार कर कॉलेज मैं आ पहुंची !

"ट्रिंग ट्रिंग " डोर बेल की आवाज़ से रिया की तन्द्रा भंग हुई , राधा आज फिर देर से आयी थी काम पर...कुछ ग़ुस्सा, कुछ फ़्रस्टेशन...जैसे तैसे राधा को काम समझाया ...और फिर निगाह पड़ी शॉपिंग के सामान पर, "अरे! अभी तो ये भी ठीक से रखना है ..फिर नाश्ते के तैयारी बच्चे भी स्कूल से आ जायेगे ...यूँ तो वो जानती थी की ये सारे काम जरूरी है और उसे अपने परिवार का अच्छेसे ख्याल रखना पसंद भी था, फिर भी...पता नहीं...

इतने मे याद आया आज तो कबाट भी क्लीन करनी है और काम करते करते अचानक सालो पुरानी कॉलेज की फाइल हाथ गयी और एक बार फिर रिया पुरानी यादो मे खो गयी ! "the best student of the year is Ria khanna " और सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाट से गूंज उठा, रिया मां-पापा का आशीर्वाद लेकर अपनी ज़िन्दगी का सबसे कीमती अवार्ड लेने स्टेज पर पहुंची, "रिया हमें तुमसे बहुत उम्मीदे है, तुम हमारे कॉलेज का नाम बहुत रोशन करोगी "" प्रिंसिपल सर के आशीर्वचन सुन कर रिया का मन भर आया था .

यूँ तो बचपन से कई अवार्ड रिया को मिले थे , पर आज इस सर की बातों को सुनकर उसे लग रहा था ये कॉलेज का आखरी साल है , बस अब ज़िन्दगी की असली परीक्षा शुरू होने वाली है , अब सचमुच अच्छा कर दिखाना है , कई सारे पेशेंट ठीक करने है , इंटरनेशनल कॉन्फरन्स अटेंड करनी है , हायर स्टडीज की तैय्यारी भी करनी है , अपने मम्मी पापा टीचर्स सभी का सपना पूरा करना है , बचपन की तरह अभी भी हज़ारो सपने थे, रिया की आखों मे और मन मे पूरा विश्वास था, उन्हे पूरा करने का!

पर शायद होनी को कुछ और ही मंज़ूर था, वक़्त ने करवट बदली और कुछ ही समय मे रिया की ज़िंदगी के मायने बदल गये, पापा को अचानक बिज़्नेस मे बड़ा नुकसान हुआ और इसी सदमे से उन्हे असमय ही हार्ट अटॅक गया, रिया की कुंडली दोष और अपनी बीमारी के डर से उन्होने जल्दबाज़ी मे रिया का रिश्ता तय कर दिया, उन्हे डर था, कही उनके रहते रिया अपनी ज़िंदगी की नयी शुरुआत कर ले, हालाँकि दिल की इच्छा तो यही थी, की पहले  रीया अपना कॅरियर सेट कर ले, पर अचानक बदली स्थितियो ने सबको मज़बूर कर दिया, और समज़ीक दबाव के चलते रिया को रिश्ते के लिए हाँ कहनी पड़ी, और शादी के बाद ही शुरू हो गया उन तमाम उलझनो का सिलसिला ज़िन्होने कभी ख्तम होने का नाम ही नही लिया!

 अचानक आई घर-ग्रहस्ती की ज़िमेदारियो से रीया घबरा सी गयी थी, यूँ तो वो पूरी कोशिश कर रही थी, की इस नयी ज़िमेदारियो को अच्छे से निभाए पर सासू माँ का हर दिन का ताना "इतना भी नही सिखाया तुम्हारी माँ ने " से लेकर "कोई काम ठीक से नही करती हो" उसके मन को परेशान कर देता था, हर दिन घरेलू तनाव और  झगड़ो से अपने सपनो के टूटने की कसक दिल मे गहरी टीस देती थी!

 एक बार तो लगा की कह दे की "ये सब ही मेरी दुनिया नही है" पर माँ-पापा के संस्कारो ने कोई कदम नही उठाने दिया! कभी सास-बहू के झगड़े तो कभी घर के कामो का बोझ बस यही ज़िंदगी रह गयी थी, बीच मे लगा किसी तरह अपना कॅरियर फिर से शुरू करू या माँ-पापा को यहाँ के हालत बताकर उनसे मदद लूँ, पर पापा की तबीयत के चलते कभी उन्हे अपने मन की बात नही बताई, हमेशा यही कहती रही की "सब ठीक है, सब ठीक है", जब कभी रवि  को अपना सब कुछ मानते हुए अपने दिल की बात बताती, तो "ये सब तो अड्जस्ट करना ही होगा..." कह कर वो बात ख़तम कर देता था, कुछ जगह इंटरव्यू भी दिए, पर रवि की बदलती नौकरी और फिर प्रेग्नेन्सी के चलते रिया की ज़िंदगी चार-दीवारी मे क़ैद होकर रह गयी!

दिन गुज़रते गये और साल भी...घर, बच्चे, बीमारियो, परेशानियो से जूझते-जूझते रिया दो बच्चो की माँ बन गयी थी, धीरे-धीरे ज़िंदगी मे बाकी सब तो ठीक हो ही गया था, पर ये सब करते करते कई साल गुजर गये थे, आज रिया सिर्फ़ "आशु-निशु की मम्मी" और "श्रीमती शर्मा " के नाम से समाज मे जानी जाती थी, "The Topper ria khanna" कही खो गयी थी, गुमनामी मे!

 "दीदी, काम पूरा नही करना है, क्या?" राधा की आवाज़ से रिया वर्तमान मे लौट आई, "करना है, ना.."हड़बड़ा कर रिया ने घड़ी की तरफ देखा, अभी तो डिन्नर बाकी है, कपड़े भी प्रेस करने है, और टिफिन की तैयारी भी..." रोज़ यही सब तो करती हो, हाँ मेरा परिवार है, उनकी ज़रूरते है..पर पता नही अधूरे सपनो के पूरा ना होंने की कसक दिल को क्यो इतना परेशान करती थी !

 यही सब सोचते-सोचते रिया बालकनी मे आई, रोज़ शाम उड़ते परिंदो को अपने घर की तरफ लौटते देखना उसे बहुत पसंद था, पर आज तो कुछ अद्भुत ही हुआ, उड़ान भरते हुए अचानक एक एक छ्होटा परिंदा उड़ान भरतेः हुए गिर गया, रिया का मन ये सब देख बहुत घबरा गया, उसे लगा इस नन्हे परिंदे का सफ़र यही ख़तम हो गया, पर कुछ देर मे ही उस नन्हे परिंदे ने अपने आप को सभाला, फिर से कोशिश की, और कुछ ही देर मे उसने फिर से उड़ान भरी, देखते ही देखते वो आकाश मे गर्व से नयी उड़ान भरने लगा, ये देख रिया की खुशी का ठिकाना नही रहा...और कुछ ही मिंन्टो मे इस नन्हे परिंदे ने उसे नई राह भी दिखा दी थी, उसने सोचा, जब ये नन्हा सा परिंदा घायल होने के बाद हिम्मत नही हारता है, फिर से कोशिश कर के अपनी नयी उड़ान भरता है, तो क्या मे फिर से अपने अधूरे सफ़र को फिर से नही शुरू कर सकती?

 यदि मे भी कोशिस करूँ तो फिर से अपने अधूरे सपनो को पूरा कर सकती हूँ, आज मे अपने आप से वादा करती हूँ की मे फिर से, पूरे दिल से नयी राह तलाश करूँगी, फिर से नयी उड़ान भरूगी! आज रिया के चेहरे पर वो पहले वाली मुस्कान थी, और आवाज़ मे पहले वाला आत्म-विश्वास, पता नही थी, मंज़िल मिलेगी या नही पर इस नयी सफ़र की शुरआत से ही वो आज अपने आप को संपूर्ण महसूस कर रही थी!

क्या आपने भी सहा है, किसी अधूरे सपने के टूटने का दर्द? क्या आपने भी कोशिश की है, नयी उड़ान भरने की? क्या है आपका विचार, प्लीज़ सांझा कीजिए! .


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