Sunday, June 25, 2017

अधूरे सपनो की नयी उड़ान- part 2

बहुत बहुत शुक्रिया, आप सभी का रिया की नयी उड़ान की शुरुआत का सराहना करने का..और  शायद ये जानने की उत्सुकता आप सभी को होगी की रिया की नयी उड़ान सिर्फ़ सोच तक ही सीमित रही या उसने सचमुच सारी बाधाओं को पार करके अपना अधूरा सपना पूरा किया..जानते है आगे क्या हुआ...

आज रिया बहुत खुश थी, आज नन्हे परिंदे ने जो राह उसे दिखाई थी, उसके ज़रिए उसने पहली बाधा तो पार कर ही ली थी..आज उसने अपने आप से ये प्रण किया था की अब वो हर समय डिप्रेशन मे रहने की बजाय वो नयी राह तलाशेगी, और पुरानी बातों का रोना रोने की बजाय अब वो इस बात पर ध्यान देगी की वो क्या कर सकती है और कैसे कर सकती है!और वो जानती थी की ये सब इतना आसान नही है, पर आज उसने पहली जीत हासिल कर ली थी, और वो जीत थी, "positive attitude" रखने की और ये मानसिक तैयारी रखने की, उसे कुछ करना है!

"क्या बात है, आज बहुत happy लग रही हो?..." ऑफीस से आते ही रवि ने पूछा? "हाँ...कह कर रिया ने अपने दिल की सारी बात रवि को बताई, पहले तो रवि ने "अच्छा"...कह कर कुछ व्यंग्य कर के कहा पर दूसरे पल ही अपनी पत्नी की काबिलियत और कोशिश को स्मझ कर उसने तुरंत वादा किया की वो उसकी पूरी मदद करेगा!
"रीया तुम्हारी डिग्री पुरानी हो चुकी है, और इंग्लीश, कम्यूनिकेशन स्किल और कंप्यूटर स्किल भी उतनी अच्छी नही है..मेरा कहना है तुम्हे किसी फील्ड मे उतरने से पहले अपने आप को अपडेट करना चाहिए...." रवि ने समझाते हुए रीया को कहा! "हाँ बिल्कुल..." मे आप के कहे अनुसार अपनी पूरी कोशिश करूँगी अपने आप को लायक बनाने की...ये कहते हुए ही रीया ने अपना नया शेड्यूल फिक्स किया..और पूरी तरह से लग गयी अपनी नयी पारी की शुरुआत की तैयारी मे!

नयी शुरुआत के साथ ही रीया की ज़वाबदारियाँ भी बढ़ गयी थी..घर, बच्चे, और इतने सालों के ब्रेक से रीया को कुछ परेशानियाँ ज़रूर हो रही थी, पर रवि का साथ और अपने मनोबल को उसने गिरने नही दिया! "क्या बात है, आज बहुत थकि हुई लग रही हो?" रवि ने कहाँ, "हाँ...बस बच्चो की एग्ज़ॅम है, और मे अपनी भी तैयारी कर रही हूँ.." रीया ने कुछ थके हुए स्वर मे कहा.."चलो आज मे तुम्हारी मदद करता हूँ.."रवि के इतना कहते ही रीया की सारी थकान दूर हो गयी! साथ ही रवि समय-समय पर रीया को अपनी सेहत का ध्यान रखने को भी कहता रहता, दिन गुज़रते गये..आज रीया अपनी पूरी तैयारी से स्साथ अपना पहला इंटरव्यू देने जा रही थी..कुछ घबराहट..कुछ खुशी..."बेस्ट ऑफ लक..रीया" रवि ने हमेशा की तरह रीया का होसला बढ़ाया...और रीया भगवान का आशीर्वाद लेकर अपने पहले इंटरव्यू के लिए पहुँची!

“academic record तो बहुत अच्छा है, पर कोई expeience नही है, पिछले कुछ सालो मे कुछ काम नही किया है शायद..पोस्ट ग्रॅजुयेशन भी नही है..ना कोई और डिप्लोमा..." मेडिकल कॉलेज के lecturship के पहले इंटरव्यू मे ही इस तरह के नेगेटिव रिमार्क से रीया का मन कुछ घबरा सा गया था..."क्या हुआ...रवि ने उत्सुकता से पूछा? और रीया की आखों मे अपनी पहली असफलता से आसु ही गये थे.."शायद मुझसे नही होगा..." रीया के गिरते मनोबल को रवि ने फिर एक बार सहारा दिया...और कहा "कोई बात नही,ये तो शुरुआत है, तुम हिम्मत मत छोड़ो, ये नही तो कोई और राह मिलेगी..."

पर शायद रीया की किस्मत मे इतनी आसानी से सफल होना नही लिखा था...कई हॉस्पिटल, क्लिनिंक्स मे ट्राइ किया..पर हर बार किसी किसी वजह से असफलता ही हाथ लगती...हर बार रवि रीया को समझाता पर अब तो रीया को लगने लगा था, शायद वो कभी अपने अधूरे सपने को पूरा नही कर पाएगी!

पर कहते है ना, हर रात के बाद सबेरा होता है, वही रीया के साथ भी हुआ! कई सालो बाद रीया को अपनी कॉलेज की फ्रेंड सोनिया मिली, और कुछ ही देर मे रीया ने अपने दिल की सारी बात सोनिया को कह सुनाई!

"हाँ रीया, मे बिल्कुल समझ सकती हूँ, तुमहरे म्न की हालत...और ये सही है की इतने सालो के ब्रेक के बाद फिर से शुरुआत करना उतना आसान नही है...पर तुम अपना knowledge share करने के लिए इंटरनेट की हेल्प ले सकती हूँ, और इसके लिए अपना ब्लॉग शुरू कर सकती हो, और mycity4kids इसके लिए सबसे अच्छा मंच है, तुम्हे नयी पहचान मिलेगी..कॉन्फिडेन्स इनक्रीस होगा...तुम बस अपनी लेखनी को अपनी ताक़त बनाओ..फिर देखो सब राह आसान हो जाएँगी!

रीया ने सोनिया की कही बात रवि को बताई, और रवि ने भी तुरंत कहा "हाँ, ये बहुत अच्छा मंच है, यहा तुम अपने बच्चो की परवरिश से जुड़ी, सेहत से रिलेटेड सारी बातें share कर सकती हो, और रीया ने बिना देर किए अपना ब्लॉग शुरू किया...ये उसके लिए आसान भी था...घर रहते हुए , अपने बच्चो और घर का ध्यान रखते हुए उसने नयी शुरुआत की! कुछ ही समय मे रीया के आर्टिकल्स लोगो को पसंद आने लगे..सोसाइटी, फ्रेंड्स, समाज़ सभी जगह रीया की लेखन शैली की तारीफ होने लगी!

"कैसा लग रहा है आज..."रवि ने खुश होकर पुछा? आज रीया की पोस्ट ने मिलियन व्यू और कई हज़ार like मिले थे.."हाँ, यकीन नही हो रहा है, की ये सब हक़ीकत है.." रीया ने भी खुल कर कहा! आज रीया "मिसस शर्मा " और "आशु-निशु की मम्मी" के नाम के साथ ही "रीया शर्मा" के नाम के साथ भी समाज़ मे जानी जाने लगी थी!

धीरे-धीरे और कई ऑप्षन्स भी रीया को मिलने लगे थे....आज वो बहुत खुश थी, मन ही मन उस परिंदे को अपना पहला थॅंक्यू कहा..जिसने उसे नयीराह दिखाई थी...आज वो अपनी नयी उड़ान के पहले मुकाम को दिल से एंजाय कर रह रही थी...रवि, सोनिया . mycity4kids का बहुत बहुत धन्यवाद कर रही थी..यूँ तो अभी नया आकाश च्छुना बाकी था...पर अधूरे सपने की ये नयी उड़ान सब्से अनोखी और यादगार थी...क्या आप भी कर रहे है, किसी नयी उड़ान की तैयारी, आपको कैसा लगा रीया का सफ़र...क्या है आपका विचार, प्लीज़ सांझा कीजिए!
और please follow my blog to read more inspirational and inteesting stories!


Sunday, June 18, 2017

अधूरे सपनो की नयी उड़ान

रिया आज सुबह से कुछ ज्यादा ही उदास थी , यूँ तो ज़िन्दगी में सब कुछ ठीक ही चल रहा था, दो प्यारे बच्चे , प्यार करने वाला पति ...पर फिर भी कुछ कुछ दिनों के अंतराल से रिया का मन खिन्न हो जाता था , लगता था ज़िन्दगी कुछ मैकेनिकल सी हो गयी hai, वही घर का काम वही रूटीन..."अरे ११ बज गए, अभी तो घर का सारा काम बाकि है और शॉपिंग भी करने है कुछ जरूरी चीज़ो की ...जैसे तैसे तैयार होकर रिया ने सब्ज़ी और कुछ जरूरी सामान लेकर घर पहुंचि ही थी, मन एक बार फिर पुरानी यादो में खो गया था !

शादी के १० सालो मे कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे थे रिया ने, घर की लाड़ली रिया हर बात में ावल थी, पढाई लिखाई से लेकर आर्ट, म्यूजिक, डांस हर विधा का हुनर था उसके पास, और साथ ही मन मे इच्छा थी, ज़िन्दगी मे कुछ बनना है, कुछ कर दिखाना है , और होता भी क्यों ये जुनून रिया के मम्मी पापा ने उसे जागती आँखों से सपने देखना जो सिखाया था और साथ ही हौसला दिया था अपने आप पर भरोसे का ! आज भी रिया को याद है जब वो छोटी थी तो पापा हमेशा कहते रहते थे ""zindagi  मे कोई काम मुश्किल नहीं है, यदि उसे पूरी मेहनत और शिदअत के साथ करो " और इसी बात को मान कर और इसी ज़ज़्बे को सलाम कर रिया ने अपना बचपन जिया था ! घर, परिवार, स्कूल, दोस्तों सब के बिच सबसे लोकप्रिय और हर बात मे सबसे आगे रहने वालो मैं से थी रिया ...और धीरे धीरे समय पंख लगा कर उड़ता गया और रिया सारे पढ़ावो को खूबसूरती से पार कर कॉलेज मैं आ पहुंची !

"ट्रिंग ट्रिंग " डोर बेल की आवाज़ से रिया की तन्द्रा भंग हुई , राधा आज फिर देर से आयी थी काम पर...कुछ ग़ुस्सा, कुछ फ़्रस्टेशन...जैसे तैसे राधा को काम समझाया ...और फिर निगाह पड़ी शॉपिंग के सामान पर, "अरे! अभी तो ये भी ठीक से रखना है ..फिर नाश्ते के तैयारी बच्चे भी स्कूल से आ जायेगे ...यूँ तो वो जानती थी की ये सारे काम जरूरी है और उसे अपने परिवार का अच्छेसे ख्याल रखना पसंद भी था, फिर भी...पता नहीं...

इतने मे याद आया आज तो कबाट भी क्लीन करनी है और काम करते करते अचानक सालो पुरानी कॉलेज की फाइल हाथ गयी और एक बार फिर रिया पुरानी यादो मे खो गयी ! "the best student of the year is Ria khanna " और सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाट से गूंज उठा, रिया मां-पापा का आशीर्वाद लेकर अपनी ज़िन्दगी का सबसे कीमती अवार्ड लेने स्टेज पर पहुंची, "रिया हमें तुमसे बहुत उम्मीदे है, तुम हमारे कॉलेज का नाम बहुत रोशन करोगी "" प्रिंसिपल सर के आशीर्वचन सुन कर रिया का मन भर आया था .

यूँ तो बचपन से कई अवार्ड रिया को मिले थे , पर आज इस सर की बातों को सुनकर उसे लग रहा था ये कॉलेज का आखरी साल है , बस अब ज़िन्दगी की असली परीक्षा शुरू होने वाली है , अब सचमुच अच्छा कर दिखाना है , कई सारे पेशेंट ठीक करने है , इंटरनेशनल कॉन्फरन्स अटेंड करनी है , हायर स्टडीज की तैय्यारी भी करनी है , अपने मम्मी पापा टीचर्स सभी का सपना पूरा करना है , बचपन की तरह अभी भी हज़ारो सपने थे, रिया की आखों मे और मन मे पूरा विश्वास था, उन्हे पूरा करने का!

पर शायद होनी को कुछ और ही मंज़ूर था, वक़्त ने करवट बदली और कुछ ही समय मे रिया की ज़िंदगी के मायने बदल गये, पापा को अचानक बिज़्नेस मे बड़ा नुकसान हुआ और इसी सदमे से उन्हे असमय ही हार्ट अटॅक गया, रिया की कुंडली दोष और अपनी बीमारी के डर से उन्होने जल्दबाज़ी मे रिया का रिश्ता तय कर दिया, उन्हे डर था, कही उनके रहते रिया अपनी ज़िंदगी की नयी शुरुआत कर ले, हालाँकि दिल की इच्छा तो यही थी, की पहले  रीया अपना कॅरियर सेट कर ले, पर अचानक बदली स्थितियो ने सबको मज़बूर कर दिया, और समज़ीक दबाव के चलते रिया को रिश्ते के लिए हाँ कहनी पड़ी, और शादी के बाद ही शुरू हो गया उन तमाम उलझनो का सिलसिला ज़िन्होने कभी ख्तम होने का नाम ही नही लिया!

 अचानक आई घर-ग्रहस्ती की ज़िमेदारियो से रीया घबरा सी गयी थी, यूँ तो वो पूरी कोशिश कर रही थी, की इस नयी ज़िमेदारियो को अच्छे से निभाए पर सासू माँ का हर दिन का ताना "इतना भी नही सिखाया तुम्हारी माँ ने " से लेकर "कोई काम ठीक से नही करती हो" उसके मन को परेशान कर देता था, हर दिन घरेलू तनाव और  झगड़ो से अपने सपनो के टूटने की कसक दिल मे गहरी टीस देती थी!

 एक बार तो लगा की कह दे की "ये सब ही मेरी दुनिया नही है" पर माँ-पापा के संस्कारो ने कोई कदम नही उठाने दिया! कभी सास-बहू के झगड़े तो कभी घर के कामो का बोझ बस यही ज़िंदगी रह गयी थी, बीच मे लगा किसी तरह अपना कॅरियर फिर से शुरू करू या माँ-पापा को यहाँ के हालत बताकर उनसे मदद लूँ, पर पापा की तबीयत के चलते कभी उन्हे अपने मन की बात नही बताई, हमेशा यही कहती रही की "सब ठीक है, सब ठीक है", जब कभी रवि  को अपना सब कुछ मानते हुए अपने दिल की बात बताती, तो "ये सब तो अड्जस्ट करना ही होगा..." कह कर वो बात ख़तम कर देता था, कुछ जगह इंटरव्यू भी दिए, पर रवि की बदलती नौकरी और फिर प्रेग्नेन्सी के चलते रिया की ज़िंदगी चार-दीवारी मे क़ैद होकर रह गयी!

दिन गुज़रते गये और साल भी...घर, बच्चे, बीमारियो, परेशानियो से जूझते-जूझते रिया दो बच्चो की माँ बन गयी थी, धीरे-धीरे ज़िंदगी मे बाकी सब तो ठीक हो ही गया था, पर ये सब करते करते कई साल गुजर गये थे, आज रिया सिर्फ़ "आशु-निशु की मम्मी" और "श्रीमती शर्मा " के नाम से समाज मे जानी जाती थी, "The Topper ria khanna" कही खो गयी थी, गुमनामी मे!

 "दीदी, काम पूरा नही करना है, क्या?" राधा की आवाज़ से रिया वर्तमान मे लौट आई, "करना है, ना.."हड़बड़ा कर रिया ने घड़ी की तरफ देखा, अभी तो डिन्नर बाकी है, कपड़े भी प्रेस करने है, और टिफिन की तैयारी भी..." रोज़ यही सब तो करती हो, हाँ मेरा परिवार है, उनकी ज़रूरते है..पर पता नही अधूरे सपनो के पूरा ना होंने की कसक दिल को क्यो इतना परेशान करती थी !

 यही सब सोचते-सोचते रिया बालकनी मे आई, रोज़ शाम उड़ते परिंदो को अपने घर की तरफ लौटते देखना उसे बहुत पसंद था, पर आज तो कुछ अद्भुत ही हुआ, उड़ान भरते हुए अचानक एक एक छ्होटा परिंदा उड़ान भरतेः हुए गिर गया, रिया का मन ये सब देख बहुत घबरा गया, उसे लगा इस नन्हे परिंदे का सफ़र यही ख़तम हो गया, पर कुछ देर मे ही उस नन्हे परिंदे ने अपने आप को सभाला, फिर से कोशिश की, और कुछ ही देर मे उसने फिर से उड़ान भरी, देखते ही देखते वो आकाश मे गर्व से नयी उड़ान भरने लगा, ये देख रिया की खुशी का ठिकाना नही रहा...और कुछ ही मिंन्टो मे इस नन्हे परिंदे ने उसे नई राह भी दिखा दी थी, उसने सोचा, जब ये नन्हा सा परिंदा घायल होने के बाद हिम्मत नही हारता है, फिर से कोशिश कर के अपनी नयी उड़ान भरता है, तो क्या मे फिर से अपने अधूरे सफ़र को फिर से नही शुरू कर सकती?

 यदि मे भी कोशिस करूँ तो फिर से अपने अधूरे सपनो को पूरा कर सकती हूँ, आज मे अपने आप से वादा करती हूँ की मे फिर से, पूरे दिल से नयी राह तलाश करूँगी, फिर से नयी उड़ान भरूगी! आज रिया के चेहरे पर वो पहले वाली मुस्कान थी, और आवाज़ मे पहले वाला आत्म-विश्वास, पता नही थी, मंज़िल मिलेगी या नही पर इस नयी सफ़र की शुरआत से ही वो आज अपने आप को संपूर्ण महसूस कर रही थी!

क्या आपने भी सहा है, किसी अधूरे सपने के टूटने का दर्द? क्या आपने भी कोशिश की है, नयी उड़ान भरने की? क्या है आपका विचार, प्लीज़ सांझा कीजिए! .